5 अक्टूबर, 2019; नई दिल्ली :डॉ. के.पी. सिंह भदोरिया
गौ संरक्षण संवर्धन की दिशा में प्रतिपल समर्पित राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष डॉ वल्लभभाई कथीरिया अपने अमेरिका के दौरे के बाद दिल्ली आगमन पर पंचगव्य औषधियों के निर्माण और उसके विपणन तंत्र को विकसित करने के लिए दिन रात एक कर दिया है. डॉ. कथीरिया ने आयुर्वेदिक चिकित्सालयों, गौशालाओं एवं शोध संस्थानों में भ्रमण आरंभ कर दिया है.
इसी क्रम में दिल्ली के पंजाबी बाग स्थित आयुर्वेदिक कैंसर अस्पताल का निरीक्षण किया.जहां उन्होंने अस्पताल में भर्ती मरीजों की जांच की और उनसे बात भी किया. यह बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉक्टर कथीरिया स्वयं एक कैंसर सर्जन है. आगे उन्होंने यह भी कहा कि गोमूत्र से बनी पंचगव्य दवाओं से तकरीबन 100 से अधिक ज्यादा बीमारियों की उपचार क्षमता है. इसलिए पंचगव्य औषधियों के माध्यम से देश में की जा रही कैंसर चिकित्सा सेवा को बहुत बड़ा सहयोग मिलेगा. उन्होंने यह भी बताया कि चिकित्सालय में डेटा-बेस नहीं तैयार किया गया है. इस कार्य को तुरंत चालू कर देना चाहिए ताकि भविष्य में किए जाने वाले अनुसंधान कार्यों में सहायता मिल सके.
इसी क्रम में डॉ. कथीरिया श्री कृष्ण गौशाला के भव्य प्रबंधन का अवलोकन किया. उन्होंने कहा कि भारत सरकार गौ से प्राप्त उत्पादों की बिक्री के लिए बाजार उपलब्ध कराने से लेकर गौशालाओं में पाली जाने वाले देसी प्रजाति के गायों के संरक्षण - संवर्धन के लिए काम कर रही है. उन्होंने कहा कि आयोग खास करके गौ संरक्षण- संवर्धन के लिए गठित किया गया है ताकि देसी नस्ल के गोवंश का विकास किया जा सके और उसका सीधा फायदा किसानों को मिले. यह आयोग देश भर में देसी प्रजाति के गाय के उत्पादन बढ़ाने में संलग्न संस्थाओं के साथ मिलकर गौ संवर्धन का कार्य कर रहा है. साथ ही साथ गौ संवर्धन में संलग्न संस्थाओं को यथासंभव मदद भी करने का निर्णय लिया है.
श्रीकृष्ण गौशाला जहां तक़रीबन 10 ,000 पशुओं का प्रबंधन देखकर काफी प्रभावित हुए और गौशाला के संचालक से अपने विचार साझा किया. उन्होंने कहा कि कि गौशाला को सुनियोजित ढंग से संचालित करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है.जिसे सफलतापूर्वक संपादित करने के लिए गौशाला पर विभिन्न प्रकार के उद्यमिता संबंधित क्रियाकलाप किए जाना चाहिए.इस दिशा में सुव्यवस्थित ढंग से काम करके रोजगार के नए स्रोत ढूंढे जा सकते हैं. बेरोजगार और प्रतिभावान युवाओं को काम करने के अच्छे अवसर मिलेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि जब संस्थाएं सुव्यवस्थित ढंग से काम करती हैं तो वह स्वाबलंबी हो जाती हैं. प्रत्येक गौशाला को आज स्वाबलंबन की कोशिश करना चाहिए ताकि अपने बलबूते चलती रहे.
अपने भ्रमण में उन्होंने यह भी कहा कि पंचगव्य चिकित्सा में अनुसंधान और विकास की अत्यधिक संभावनाएं हैं. इसलिए इस दिशा में काम कर रहे अनुसंधानकर्ताओं को काफी जोर देने की आवश्यकता है. इस दिशा में राष्ट्रीय कामधेनु आयोग निरंतर प्रयासरत है.
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