समस्त महाजन द्वारा राजस्थान में जल संरक्षण कार्य आज पूरे देश के लिए  एक उदाहरण है

समस्त महाजन द्वारा राजस्थान में जल संरक्षण कार्य आज पूरे देश के लिए  एक उदाहरण है-
राजस्थान में जल संरक्षण,गोचर विकास एवम जीव दया के अनोखे कार्य किए: रविंद्र कुमार जैन


फलोदी (राजस्थान)


समस्त महाजन ने बरसात की अमृत बूंदों को सहेजने व गोचर विकास के लिए  बिना किराए  जेसीबी मशीन उपलब्ध करवाकर बंधाई हिम्मत। लोगों ने जन आंदोलन खड़ा कर किया अप्रत्याशित कार्य कर आशातीत सफलता प्राप्त की गई। कहीं पुराने तालाबों को पुनर्जीवित किया कंही हजारों बीघा गोचर जमीन को अंग्रेजी बबूल के अतिक्रमण से मुक्त किया।  इस साल तैयार तालाब व अंग्रेजी बबूल से मुक्त आगोर और ओरण देखकर भगवान ने भी खूब बरसाए। मेघ- अब लबालब भरे हुए हैं सभी तालाब और हरे चारे से आच्छादित है। गोचर भूमि एवं14 ऐतिहासिक तालाबों को पुनर्जीवित किया गया. 



रविंद्र कुमार जैन ने यह भी बताया कि जल संरक्षण  के दिशा में  कुल 10 छोटे -बड़े नए तालाब बनाए गए हैं।  अब तक जोधपुर पाली व बाड़मेर जिले के 32 गांव और 29 गौशाला इस परियोजना से लाभान्वित  हुई है।  उन्होंने बताया कि  इसके लिए कुल 8255 बीघा जमीन को अंग्रेजी बबूल के अतिक्रमण से किया गया मुक्त कराया गया है। बाड़मेर जिले के नाकोडा मेवानगर,
नागौर जिला कुड़छी, पाली जिला झितडा, नादाना, दुदौड, भगोड़ा, मांडा, राणावास व  रडावास एवं जोधपुर जिला गज्जा, मलार, गोदडली, कुंडल ,बीठड़ी ,फलोदी आसरलाई, कनोडिया, हरियाडा, बिलाड़ा , जाखन, नेरवा, बालरवा, बापिणी, तापू, जाजीवाल भाटियान, कुमलाऊ, बारनी खुर्द , डाढ़मी ,जेलु गगाड़ी, चिरधानी व  ओसियां में तालाब का निर्माण किया गया है। 



समस्त महाजन की इस परियोजना के तहत जहां - जहां गोचर भूमि और गौ - शाला में उपलब्ध जमीन को अंग्रेजी बबूल से मुक्त किया गया वहां बारिश के बाद या तो प्राकृतिक रूप से चारा हो गया या फिर कुछ स्थानों पर गांव वालों के द्वारा सेवन धामण व अन्य देसी घासों का बीजारोपण करके वहां घास उगाया गया । साथ ही जिन् स्थानों पर तालाबों के आगोर से अंग्रेजी बबूल को मुक्त किया गया तथा तालाबों से अतिरिक्त मिट्टी को निकाला गया वहां सभी जगह भगवान ने अच्छी बारिश करके ग्रामीणों का मनोबल बढ़ाया है।


जैन ने जोधपुर जिले के  तिंवरी गांव के पास जेलू गगाड़ी गांव की प्रभु प्रेम गौशाला में एक अनूठे  प्रयोग की सफलता की चर्चा करते हुए बताया कि गौशाला के पास जमीन तो उपलब्ध थी जो  बिल्कुल पथरीली और बेकार पड़ी थी।  उसमें गौशाला के संचालकों एवं अन्य सहयोगियों ने साथ मिलकर समस्त महाजन  की जेसीबी के प्रयोग से पथरीली जमीन पर तीन फीट मिट्टी चढ़ाकर वहां का हरा घास उगाना शुरू किया और आज वहां 27 बीघा में हरा लहलहा रही है। सितंबर 2018 में समस्त महाजन के तत्वाधान में जोधपुर व पाली जिले की गौशालाओं के संचालकों व पर्यावरण प्रेमियों का 3 दिवसीय भ्रमण शील प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया था  जिसमें 432 प्रतिभागियों ने भाग लिया था ।


समस्त महाजन के मैनेजिंग ट्रस्टी गिरीश  जयंतीलाल शाह ने  गुजरात के धर्मज गांव का गोचर, अहमदाबाद की बंसी गिर गौशाला व जलाराम गौशाला भाभर का भ्रमण करवाते हुए सभी का मार्गदर्शन किया था।  इस 3 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में वर्षा जल का संचय तथा गोचर का विकास के गुर सिखाए गए। प्रशिक्षणार्थियों को अधिकाधिक देसी वृक्ष लगाने की अपील की गई। 
जिसका उद्देश्य था गौशालाओं को स्वावलंबन की ओर अग्रसर करना , गायों को पीने के लिए मीठे बरसाती जल की उपलब्धता करवाना और चरने के लिए हरे चारे की व्यवस्था करवाना। शिविर में उपस्थित सभी लोगों ने विश्वास दिलाया कि वे अपनी तरफ से अपने अपने गांव में इस हेतु को पूरा करने का प्रयास करेंगे। 



गिरीश शाह ने सभी का उत्साह देखते हुए समस्त महाजन की संस्था की तरफ से दो जेसीबी मशीन उन्हें बिना किराए उपलब्ध करवाने का वचन दिया। उन्होंने कहा कि इस मशीन के ऑपरेटर , सुपरवाइजर एवं मेंटेनेंस का खर्च भी समस्त महाजन ही वहन करेगा।  सफलता की कहानी के पीछे  मूल मंत्र  यही था  और  बस देखते -देखते जल संरक्षण अभियान चालू हो गया। अक्टूबर 2018 में राजस्थान में दो जेसीबी मशीनों के द्वारा  दिन रात कार्य करने से हम अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते गए। समस्त महाजन  इस प्रगति को देखते हुए कार्य को गति देने के लिए जनवरी में तीन जेसीबी मशीनें और भेजी दी । इतने ही नहीं बल्कि जून-जुलाई में और अधिक जगहों से कार्य की मांग आने पर 25 मशीनें बाजार से किराया लेकर गौशालाओं को बिना किराए उपलब्ध करवाई गई।


समस्त महाजन की  राजस्थान टीम गिरीश जयंतीलाल शाह के मार्गदर्शन में राजस्थान  परियोजना को  कार्य रूप देने के लिए संस्था के ट्रस्टी देवेंद्र जैन तथा  फलोदी  जनपद के कोऑर्डिनेटर रविंद्र कुमार जैन फलौदी को कार्यभार सौंपा। जिसमें स्थानीय स्तर पर समस्त महाजन के  वरिष्ठ  जनपद कोऑर्डिनेटर नटवर थानवी ,हर नारायण सोनी ,मांगीलाल पाराशरिया, विजय पालीवाल ,पुखराज जैन, खुशाल चंद जैन, हीराराम गोदारा ने कंधे से कंधा मिलाकर  परियोजना को सफलता के अंतिम बिंदु तक पहुंचाने में रात दिन एक कर दिया। 


रविंद्र कुमार जैन ने इस परियोजना से जुड़े समस्त ग्राम वासियों व गौशाला संचालकों ने एक मिशन के रूप में एकजुट होकर कार्य करने के लिए बधाई दी और बताया कि तालाबों की खुदाई में काम आने वाले ट्रैक्टर तथा जेसीबी मशीनों के अलावा समस्त संसाधनों की व्यवस्था  का कार्य अपने -अपने स्तर से  आवश्यकता अनुसार दूसरे दानदाताओं के  माध्यम से मंजिल तय की गई। इस कार्य में समस्त महाजन की प्रेरणा तथा जेसीबी की व्यवस्था से लोगों का हौसला बढ़ा जल संरक्षण प्रबंधन को एक जन आंदोलन में बदल दिया।


समस्त महाजन आज  अपने पहचान का मोहताज नहीं है  बल्कि भारत सरकार  से लेकर  कई राज्य सरकारों का दुलारा बन चुका है।  जहां राजस्थान में सफलता शिखर की ओर बढ़ रही है  वही महाराष्ट्र, गुजरात  एवं उत्तर प्रदेश में अपने पांव पसार चुका है क्योंकि  समस्त महाजन की स्थापना इस उद्देश्य हुई है कि जीव मात्र के कल्याण दुनिया भर की मानवता की रक्षा की जा सकती है। जीव दया  के बिना दुनिया का संचालन नहीं हो सकता है।  जब भी इसका आना कब होगा तो  पर्यावरण संतुलन एवं जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियां हमारे सामने आएंगी  और पृथ्वी पर से इंसानियत को मिटा देगा।


उन्होंने बताया कि  समस्त महाजन के माध्यम से  हम  गांव,गाय एवं परिस्थितिकीय  संतुलन की सिर्फ  आकांक्षा और प्रयास कर रहे हैं बल्कि  ग्रामीण अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी  और प्रदूषित हो रही  मिट्टी, जल और खाद्य श्रृंखला रुकने के लिए दिन-रात कटिबद्ध है। आज की परिस्थिति में देसी गाय  का संरक्षण- संवर्धन  और जैविक खेती को बढ़ावा देना बहुत जरूरी है।सदैव किसी भी सफलता के लिए  आस्था और भावना  सभी की भलाई में अपनी भलाई सोचने एवं काम करने के लिए बाध्य करती है।


समस्त महाजन ने जो आंदोलन चालू किया है उसमें वृक्षारोपण प्रमुख बिंदु है। इसलिए  संस्था देशी वृक्षारोपण के लिए प्रतिपल काम कर रही है।  संस्था का मानना है कि बरसाती जल अमृत तुल्य है इसका संचय खेती और पशुओं दोनों के लिए जरूरी है । देसी गाय  का संरक्षण संवर्धन एवं विकास करना है तो गोचर  भूमि अति आवश्यक है जिसके लिए  अंग्रेजी बबूल के अतिक्रमण से मुक्त करके  और उसे चारागाह  के रूप में विकसित करना होगा। समस्त महाजन इसी की प्रेरणा पूरे भारत में काम करने के लिए अग्रसर है। इस अभियान के  सफलता के  सिर्फ परामर्श ही नहीं देता बल्कि  प्रशिक्षण और सहायता भी देता है । राजस्थान की असफलता आज पूरे देश के लिए एक उदाहरण बन गया है हैं ।


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