समस्त महाजन पशु बलिको रोक्ने लिए आगे आया

गढीमाई मे हो रही पशुओं की बलिको रोक्ने लिए समस्त महाजन ने चलाया जागरुकता अभियान  जो धीरे - धीरे  जोर पकड़ रहा है : हीरालाल जैन


गढ़ीमाई (नेपाल)


नेपाल विविध धर्म संस्कार और परम्पराके लिए पुरे बिश्वमे जाना जाता है . परन्तु धर्म और परम्परा के नाम पे अभि भी कई कुरिंतियाँ नेपाल मे रहे है . जिसमे मे से पशुबली प्रथा प्रमुख रही है .सतिप्रथा, बाल बिबाह जैसे प्रथा को कानुनी रुप से हटादि गई है . परन्तु पशुबली प्रथा कायम रख्ने के लिए सरकार अभि भी कही न कहि टेवा दे रहा है . ईस घोर अन्याय पूर्ण प्रथा का अन्त्य करने लिए ईस क्षेत्रमे अब स्थानीय सचेत लोगको जगना जरुरी हो गया है . ईस मुद्दे पर एक दिलि भावना से स्वयंसेवी संस्था समस्त महाजन  भारत और नेपाल के सभी सामाजिक तथा पशु कल्याण संस्थाओं से एक साथ मिलकर काम करने का अनुरोध किया है,यह बात कही है समस्त महाजन के "बलि प्रथा रोको अभियान" के कोऑर्डिनेटर हीरालाल जैन ने.हीरालाल जैन इस समय नेपाल के गढ़ी माई में हैं और वहां पर होने वाली फसल के बारे जागृति फैलाने से लेकर बलि प्रथा को रोकने के लिए रात दिन एक कर दिया है. 


जैन के अनुसार समस्त महाजन की बलि प्रथा रोको अभियान संस्था के मैनेजिंग ट्रस्टी गिरीश जयंतीलाल शाह जो भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड में सदस्य भी हैं ,के मार्गदर्शन में चलाया जा रहा है। समस्त महाजन का यह अभियान तब तक चलता रहेगा जब तक गढ़ीमाई में होने वाली बलि प्रथा रोक दी जाती. तरुण मित्र के साथ हुई एक बातचीत में उन्होंने बताया कि नेपाल मे कई ऐसी शक्ति पिठ है जहाँ एक दिन मे सौ से ज्यादा पशुबली दी जाति है . उसी मे से एक गढीमाई माता का मन्दिर भी है जो नेपाल की राजधानी काठमाडो  से करिव 200  किलोमिटर पूर्व मे नारायणी अंचल के बारा जिले का एक प्रसिद्द शक्ति पिठ मे से एक है . बारा जिले का सदरमुकाम कलैया नगरपालिका से 8  किलोमिटर पुर्व बरियारपुर स्थित गढ़िमई का मेला हरेक पांच वर्ष मे मार्ग शुल्क सप्तमी से आरम्भ होता है. इसका मतलब यह हुआ कि इस साल 28 नवंबर से आरम्भ हो रहा है . विभिन्न स्थानो से लाखों दर्शनार्थी आनेवाले इस बलि पर्व  मे लाखौं के तादत मे भारत केकई प्रांत के लोग जैसे  बिहार, उत्तर प्रदेश ,झारखंड ,पश्चिम बंगाल एवं आसाम के विभिन्न विभिन्न स्थानो से लाखौं भक्त अपनी मंनत पूरा करने के लिए बलि देते हैं .
 मानव हित मे अनिष्ठता दूर करने तथा विश्वास के साथ मन्दिरका सर-सफाई करके मार्ग शुक्ल सप्तमी के दिन गढ़िमई का स्वागत करते हुए पांच दिन पूजा- आराधना करने बाद  पन्च बलि देने  के लिए मन्दिर का कपाट खुला कर दिया जाता है. ईस अवसर पर गढ़िमाई के साथ कन्कल्निमाई, जाखिनमाई, भक्तिमाईका भी पूजा किया जाता है. ऐसा विश्वास किया जाता है कि गढ़िमाई के बहनों के रुप मे कटाबसिमाई, कन्कलनीमाई, मनकामनामाई, संसारी, साम्ये, राजदेवी, गढ़वाहा, जोरलाही, वनशक्ति सभी का पूजा आराधना किया जाना जरूरी है.  एक महिनो तक चलने वाली इस पर्व मे लाखों के संख्या मे निर्दोष भैँस, पाडे, बकरिया  तथा पक्षियों की बलि दी जाती है. बलि के नाम से ऐसा  हृदयविदारक हत्याएं की जाती हैजहां इंसानियत शर्मसार हो जाती है. जैन ने बताया कि बलि प्रथा को सफल संचालित करने के लिए स्थानीय 400-500  से अधिक युवाओं की ड्यूटी लगाई जाती है.संवेदनशील इंसान की ऐसी हरकतें देखी जा सकती है जो मानवीय सोच की एक विकृति जीता जागता नमूना होता है.बलि प्रथा की इस घटना को देखकर कोई भी विचलित हो सकता है.हृदय विदारक जघन्य पशु हत्या की बिचलित करनेवाली ऐसा कृत्य निहायत निन्दन्निया कार्य है.


उन्होंने बताया कि आज नेपालका जैसे छोटे हिंदूवादी देश का नाम  सारे विश्व मे बदनाम हो रहा है.आज के विकासके युग में जहां समाज इतना पढ़ा लिखा और सभ्यसमाज कीपरिकल्पना करता हैऔर चांद-सूरज की यात्राएंकरने की तैयारी कर रहा है.वहीं पर नेपाल जैसा विकासशील देश विभत्स प्राणी हिंसा का दोषारोपण लेकर दुनिया भर में संकुचित और गवार देश की श्रेणी में माना जा रहा है.जैन का मानना है कि आज के सन्दर्भ मे हर कोई अहिंसा प्रेमी को कहीं ना कहींलोग प्रताड़ित करते हैं और पीड़ा  देते हैं. अत: दया, करुणा विहीन कुप्रथा के विरोध मे अब नेपाल मे लोगों की आवाज बुलन्द हो रही है. पशु अधिकारों  से सम्बन्धित संघ संस्था और तमाम धार्मिक सम्प्रदाय भी इस कुप्रथा के विरोध मे आगे आ रहे है.


बलि प्रथा रोको अभियान के सक्रियता की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण प्रणामी युवा परिषद के संयोजन मे समस्त महाजन मुम्बई कि विशेष सहयोग और सहभागिता मे नेपाल मे सभी संघ संस्थाको समन्वय कर के बहुत बड़े स्तर के अभियान का आरंभ कर दिया है . इसी प्रकार अनेक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं जैसे शान्ति सम्मेलन, स्कूल-कॉलेज के शिक्षकों और विद्यार्थियों को डकुमेन्ट्री फिल्म प्रदर्शन, क्रियाकलापों में शामिल कराना, गांवो मे गोष्ठी और प्रदर्शनी के माध्यम से आम लोगो मे पशु बलि की कुप्रथा के बारे मे सम्झाया जाता है . इस कुप्रथा को समाप्त करने के लिए लोगों को संवेदनशील बनाया जा रहा है. इस दिशा मेंजन चेतना के माध्यम से जनमानस को सकारात्मक चिंतन एवं सोच वाला बनाया जा रहा है. वर्ष सितंबर माह में नेपाल केअत्यंत प्रभावित  बरियारपुर क्षेत्र के गढ़ीमाई मन्दिर मे स्थानीय लोगोको लक्षित करते हुए चर्मरोग, स्त्री रोग और सामान्य चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया.जहां पर वैदिक रीति-रिवाजों तथा सामूहिक पूजा पाठ के आयोजनसे लोगों कोजागृत किया गया. 


पिछड़े एवं गरीब तबके के लोगों को नि:शुल्क औषधि व्यवस्था और बीमारियों के  उपचार हेतु शिविर लगाया गया जहां 500  से लोगों को लाभान्वित किया गया . इसी माह में सात्विक विचारधारा के प्रचार प्रसार के उद्देश्य को लेकर के बड़े स्तर पर सामूहिक पूजा की व्यवस्था की गई. इस सिलसिले में काठमाडौँ, मकवानपुर, बारा, पर्षा, रौतहट और सर्लाही जिले से आए हुए भक्तजन के साथ अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधि भी आए. इस कार्यक्रम में प्रप्रतिनिधियों सहित स्थानीय समुदाय के करिव 10 ,000  लोगों को सहभागिता सिद्धांत पर 5  किलोमिटर की परिधि में कलश शान्त- शोभा पैदल यात्रा करके सामूहिक बन्दना और आराधना कराया गया और के स्थानीय मूल पुजारी  मंगल शिंह चौधरी, सहयोगी पुजारी  चन्द्र देव चौधरी तथा शास्त्री सुरेन्द्र शर्मा, शास्त्री  जनार्दन ने सात्विक पूजा पाठ की.वैदिक विधि विधान से 1008 श्रीफल (नारियल) चढ़ाने के परंपरा का शुभारम्भ किया गया . इस पूजा मे हजारों भक्तजन हर्सोल्लास के साथ शामिल हुए.और देखते ही देखते स्थानीय सभी जिलों मेंअपनाने लगे.


हीरालाल जैन ने बताया कि मन्दिर के पुजारी का कहना था कि इतने बड़े स्तर का सात्विक-सामूहिक पूजा गढ़िमाई मन्दिर मे पहली संपन्न कराया गया है. उन्होंने बताया कि इसकार्यक्रम मे अपनी भावना व्यक्त करते हुए समस्त महाजन मुम्बई से आए हुए अन्य साथीअपने-अपने क्षेत्रों मेंजागरण के लिए निकल पड़े हैं. जहां पर लोगों को बताया जा रहा है किदेवी देवता कभी भी किसी की नहीं मांगते हैंउन्हें तो लोगों की श्रद्धा और निस्वार्थ प्रेम चाहिए।देवी कभी भी अपने सन्तान कि बलि कभी नही चाहती है. करुणा और दया भक्ति का एक स्वरूप है नकि बलि देने वाले से भगवान खुश होते हैं.यह परंपरा एक घोर अंधकार और अज्ञानता सेपरिपूर्ण है.इसलिए परम्परा को जल्दी से जल्दी त्याग करते हुए अहिंसा और सात्विक सिद्धांतों के अनुसार वैदिक पूजा पाठ करकेभगवान को प्रसन्न करना चाहिए ताकि दुनिया भर में इंसानियत जिंदा रहे.
 


हीरालाल का कहना है कि गढ़िमाई मेला मे हो रही लाखों प्राणियों का जीवन रक्षा करके संसार मे पाप और कलंकसे छुटकारा पाया जा सकता है. इस साल गढ़िमाई मैं पशु हिंसा कम करने के लिए ये कार्यक्रम का स्थानीय मिडिया ने खुलकर समर्थन किया है.मूक प्राणियों के हित मे नेपाल और भारत की ओर से अपनी बुलन्द आवाज के साथ काम करने वाली  संस्था समस्त महाजन आज नेपाल मे हो रहे प्राणि हिंसा के बारे मे सचेत रहते हुए विभिन्न संघ संस्थाओं के साथ पिछले 5 सालों से काम कर रही है. इस परिप्रेक्ष्य मे नेपाल के 55  जिले मे एक साथकंधे से कंधा मिलाकर काम करने वाली संस्थाओं में श्रीकृष्ण प्रणामी युवा परिषद और विभिन्न संघ संस्था के साथ - साथ स्थानीय जिला समिति के माध्यम से गढ़िमाई मेले मे होने वाले सामूहिक पशु हत्या के विरोध मे काम कर रहे ओशोधारा मैत्री संघ, नेपाल बौध निंगमा संघ, सन्त कबीर समाज, नेपाल शाकाहारी संघ, नवजीवन परोपकार समाज जैसे अनेक संस्थाओं के साथ सचेतना कार्यक्रम मैं सहयोग मिल रहा है. ऐसी कार्यक्रम की माध्यम से आम लोगों मे प्राणि प्रति के समबेदना मानवीयता के बारेमे जागरुकता पैदा हो रही है. मांस उपभोग और मानव स्वास्थ्य के ऊपर असर पड़ रहा है तथा ग्लोवल वार्मिंग की नई नई चुनौतियां सामने आ रही है. जैन ने बताया कि इस अवसर पर औषधि विज्ञान के शोधपरक  तथ्यांक के साथ लिखा गया पर्चा भी बाटा गया और लोगों को सम्झाया गया . इस अभियान से लोगों मे पशुबलि  जैसे कुप्रथा और प्राणि हिंसा के प्रति जागरुकता पैदा हो रही है. 


इस अभियान में शक्ति और मन्नत पूरा करने हेतु सामूहिक सात्विक पूजा  पुनर्जागरण अभियान अन्तर्गत हुये इस  विशेष कार्मयक्रम मे गुरुजनो सहित नवजीवन परोपकार समाज परिवार स्थानिय गायत्री परिवार के तमाम समर्थक सम्मिलित थे. कार्यक्रम सम्पन्न कर्ने के लिए  विशेष भूमिका मे रहे प्रकाश खड्का, काठमाण्डौ से आएहुये  "मेरो हस्पिटल" के  चिकित्सक समूह, भारत से आकर कार्यक्रम आयोजन  मे सहयोग -सहभागिता के साथ हौसला प्रदान करने वाले हिरालाल जैन 1000  लोगो के लिए  भोजन - सेवा देने वाले प्रतिष्ठान- श्रीकृष्ण प्रणामी मन्दिर, औदाहापुर समिति साथ ही दूरदराज से आए हुये भक्तजन एवं सहभागी के लिए तथा आवास सेवा के लिए श्रीकृष्ण प्रणामी मन्दिर सिमरा और श्रीकृष्ण प्रणामी मन्दिर बिरगंज पूजा बिशेष भूमिका मे रहे. सन्त गुरुजन, स्थानिय युवा परिषद् प्रास, श्री कृष्ण प्रणामी सेवा समिति परिवार (केन्द्र और जिला), बाइजुराज महिला समिति (केन्द्र तथा जिला), मिडिया प्रसारण के लिए गढ़ीमाई परिवार, समग्र मधेश रेडियो एफएम, साझेदारी दैनिक पत्रिका, गढीमाई पुजारी श्री मंगल सिंह चौधरी सहायक पुजारी चन्द्रदेव चौधरी, स्थानिय समाजसेवी, प्रहरी प्रशासन सबका योगदान रहा है ।


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