समाज के विकास हेतु आध्यात्मिक चेतना बहुत जरूरी :गिरीश  जयंतीलाल शाह


कल्याणक भूमि यात्रा के लिए दीक्षार्थिओं के प्रयाण से चरम आनंद - 
किसी  दीक्षार्थी को यात्रा करने का लाभ लेना हो तो  स्वागत है             समस्त महाजन  



मुंबई( महाराष्ट्र)


कल मुंबई में भारत डायमंड बुर्स-"बीकेसी" में हीरा व्यापारियो द्वारा एक साथ 77 मुमुक्षु दीक्षार्थियों का बहुमान सम्पन्न हुआ । भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के सदस्य  एवं राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता संस्था "समस्त महाजन" के मैनेजिंग, ट्रस्टी गिरीश जयंतीलाल शाह ने बताया कि 111 कल्याणक भूमि यात्रा के लिए दीक्षार्थिओं को प्रयाण करवाया गया जो बेहद आनंदकारी था। उन्होंने यह भी बताया कि दीक्षार्थिको  को यात्रा कराने का नकरा रू 36 हजार था , फिर भी सभी ने  अत्यंत उल्लास के साथ भाग लिया । उन्होंने अपने एक अनुरोध-संदेश के माध्यम से यह बताया कि अभी भी किसी  दीक्षार्थी को यात्रा करने का लाभ लेना हो तो से स्वागत है।


दया और करुणा के संदेश को जन जन तक पहुंचाने के लिए समर्पित समस्त महाजन के संस्थापक गिरीश जयंतीलाल शाह का मानना है कि धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से देश में दया ,करुणा, अनुकंपा और मानवता के भाव को जागृत किया जाना चाहिए।आज हमारे समाज के विकास हेतु आध्यात्मिक चेतना बहुत जरूरी है। रोजमर्रा की भागदौड़ में हमारी  सभ्यता, संस्कार ,रहन-सहन, खान-पान,परिवेश, परिपाटी के साथ-साथ धरती, आबोहवा, सुख- शांति गायब हो रही है , हम लोग दूर हो रहे हैं। मानवीय चेतना का ह्रास आज कई चुनौतियों को सामने खड़ा कर खड़ा कर दिया है और इंसान उसमें खोता जा रहा  है। इसे पुनः प्राप्त करने के लिए हमें धर्म-विज्ञान को समझना होगा  क्योंकि  मानवीय  मूल्यों को समझाने के लिए इससे बढ़िया शिक्षक कोई नहिहों सकता है। इसी आकांक्षा , मनोकामना और आत्मविश्वास के साथ हम आगे बढ़ते रहने का संकल्प लिए चल पड़े हैं।


नव वर्ष के अवसर पर इस धार्मिक अनुष्ठान  के माध्यम से अपने परंपरा, सभ्यता, मानवता, परोपकारी सोच  और सांस्कृतिक चेतना की  रथ यात्रा में एक कड़ी फिर से जोड़ने का अवसर प्राप्त किए जिसके माध्यम से दया और करुणा का संदेश लोगों तक पहुंचाया जा रहा है । इस अनुष्ठान  के दौरान  सुख शांति और आनंद के विविध आयाम कैमरे में  स्वतः कैद   होते गए  जो सिर्फ मनमोहक ही नहीं अपितु  एक प्रेरक संगम  का रूप बन गया ।


इस धार्मिक उत्सव के हर क्षण मिलकर के  एक अद्भुत झांकी बन गए। जिसका  मनोरम एवं अविस्मरणीय स्वरूप कुछ इस प्रकार है :








आभार



 


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