देश में पशु स्वास्थ्य सेवा का अनोखा उदाहरण बना उत्तराखंड-करोना नियंत्रण सेवा दल में खुद शामिल हो गया

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देश में पशु स्वास्थ्य सेवा का अनोखा उदाहरण बना उत्तराखंड-
पशुपालन विभाग गरीब पशुपालकों एवं मूक पशुओं की सेवा को मद्देनजर रखते हुए करोना वायरस नियंत्रण पर बनाई गई आपातकालीन सेवा दल में खुद शामिल हो गया


देहरादून (उत्तराखंड)


बहुत कम लोग जानते हैं कि उत्तराखंड देश का ऐसा राज्य है जहां  पशु कल्याण एवं पशु स्वास्थ्य सेवा का  कार्य सभी प्रदेशों से आगे हैं. जिसमें वरिष्ठ  पशु चिकित्सा अधिकारियों से लेकर  प्रदेश के मुख्य सचिव तक  अपनी भूमिका निभा रहे हैं जिसका नतीजा है यह छोटा सा राज्य पशु कल्याण में देश की अगुवाई कर रहा है. इसका जीता-जागता  उदाहरण उस समय देखने को मिला जब देशभर में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए प्रदेश से लेकर केंद्र सरकार हर प्रकार से सतर्क  एवं  जनसामान्य को बेहतर सेवा मुहैया कराने के लिए  सख्त आदेश जारी किया जा रहा था  और कोरोना वायरस को रोकने के लिए गठित टीम में पशुपालन विभाग का नाम नहीं था. 


केंद्रीय दिशा निर्देशन के अनुसार उत्तराखंड सरकार  पहले  पशु चिकित्सा सेवा कर्मियों को सम्मिलित नहीं किया  लेकिन उत्तराखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ के  अनुरोध पर पशु स्वास्थ्य सेवाओं को जारी रखने के लिए आदेश जारी कर दिया गया. सूत्रों के अनुसार सचिव पशुपालन की ओर से जारी एक आदेश के तहत पशुपालन विभाग के सभी कर्मचारियों को कोरोना वायरस रोकने के लिए   गठित टीम में शामिल कर लिया गया है और  यह कहा गया है कि प्रदेश सरकार  के अधीन आने वाले  किसी भी पशु चिकित्सालय को बंद नहीं किए जाएंगे  और स्वास्थ्य विभाग की तरह पशुपालन विभाग की सभी सेवाएं आवश्यक सेवाओं में शामिल कर ली गई है.हालांकि, पूर्व आदेश में कहा गया था कि 19 मार्च से 25 मार्च तक स्वास्थ्य, पुलिस, परिवहन, खाद्य आपूर्ति, पेयजल, बिजली और सफाई व्यवस्था को छोड़कर अन्य विभागों के लोग अपना काम घर से कर सकते हैं. 


प्राप्त सूत्रों के अनुसार उत्तराखंड राज्य पशु चिकित्सा सेवा संघ के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. कैलाश उनियाल एवं महासचिव, डॉ. आशुतोष जोशी ने शासन को पत्र भेजकर पशु चिकित्सा अधिकारियों की आपातकालीन सेवाओं को देखते हुए प्रदेश सरकार से करोना निवारण के लिए गठित आपातकालीन टीम में शामिल करने का आग्रह किया था. इस संबंध में 19 मार्च 2020 को जारी पत्र में उत्तराखंड राज्य पशु चिकित्सा सेवा संघ  की ओर से बड़े ही स्पष्ट शब्दों में कहा गया था कि  पशुपालन विभाग द्वारा मूक पशुओं हेतु पशु चिकित्सा एवं अन्य आपातकालीन सेवाएं दी जाती है, अतः पशुपालन विभाग के अस्पतालों को बंद कर दिए जाने की गरीब पशुपालकों के पशुओं को दी जा रही आपातकालीन सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.  


साथ ही साथ संघ की ओर से जारी पत्र में यह भी कहा गया कि उत्तराखंड राज्य के अंतर्गत जॉली ग्रांट मेडिकल कॉलेज में स्वाइन फ्लू से एक व्यक्ति की मृत्यु हुई है तथा मध्य प्रदेश में बर्ड फ्लू के कारण कुकुट पक्षियों की मृत्यु हुई है  जिसको देखते हुए उत्तराखंड में पशु स्वास्थ्य संबंधी सतर्कता अत्यंत आवश्यक है. इसलिए पशुपालन विभाग के पशुचिकित्सा कर्मियों की आपातकालीन सेवाओं को दृष्टिगत करते हुए जारी शासनादेश से मुक्त रखा जाए और पशु चिकित्सा संवर्ग की सेवाएं ली जाए. यह बता दें कि  शासन द्वारा 19 मार्च 2020  को जारी आदेश  में पशुपालन विभाग के सेवाकर्मियों को करोना वायरस रोकथाम के संबंध में जारी सूची में सम्मिलित नहीं किया गया था किंतु, उत्तराखंड राज्य पशु चिकित्सा सेवा संघ के अनुरोध के बाद विभागीय सेवाओं को  अंततः सम्मिलित कर  ही लिया गया. 


यह बताना यह भी उचित होगा कि  उत्तराखंड राज्य जीव जंतु कल्याण बोर्ड देश का पहला राज्य है जो अपने बलबूते पर  जीव जंतु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 का प्रतिपालन कर रहा है  और पशु  कल्याण एवं  पशु स्वास्थ्य सेवा  के मामले में देश भर के सभी राज्यों की तुलना में पहले पायदान पर है. राज्य जीव जंतु कल्याण बोर्ड की उपलब्धियों की एक लंबी श्रृंखला है. उत्तराखंड राज्य पशु चिकित्सा सेवा संघ ने पत्र लिखकर  देशभर के पशु चिकित्सा सेवा के  सम्मान को चार चांद लगा दिया और अन्य राज्यों का इसका अनुकरण करना चाहिए.


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