स्वच्छता एवं पर्यावरण संरक्षण अभियान में अब पशु चिकित्सक सबसे आगे


लखनऊ नगर निगम के संयुक्त निदेशक डॉ. अरविंद कुमार राव को       राष्ट्रीय पुरस्कार



नई दिल्ली,3 मार्च 2020 : म्युनिसिपल कारपोरेशन  एक्ट, 1888  के अनुसार देश भर में कार्य करने वाली सभी  नगर निगमों , नगर पालिकाओं  एवं नगर पंचायतों को सिर्फ  शहर को साफ सुथरा रखने के लिए ही नहीं जिम्मेदार ठहराया गया है बल्कि उन्हें मवेशी गृह  की स्थापना करने तथा रख-रखाव के साथ शहर के सभी लावारिस मवेशियों पर होने वाले अपराध को रोकने के लिए निर्देशित किया गया है जिसका उल्लेख जीव जंतु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 में भी है. इस नियम के परिपालन के लिए लखनऊ शहर का नाम सबसे आगे आया है. लखनऊ नगर निगम के संयुक्त निदेशक (पशु चिकित्सा एवं  कल्याण) , डॉ. अरविंद कुमार राव को झारखंड राज्य की संस्था लोक सेवा समिति द्वारा दिल्ली में आयोजित एक समारोह में पशु कल्याण के उल्लेखनीय कार्य हेतु राष्ट्रीय पुरस्कार से अलंकृत किया गया है.पशु चिकित्सकों के द्वारा किए जा रहे कार्यों की इस श्रृंखला में झारखंड के पशु चिकित्सक डॉक्टर शिवानंद काशी जीव जंतु क्रूरता निवारण अभियान के लिए सम्मानित किया गया है.



लोक सेवा समिति के अध्यक्ष मोहम्मद नौशाद खान ने बताया कि संस्था के 29वे वर्षगांठ का आयोजन गालिब एकेडमी, निजामुद्दीन नई दिल्ली में किया गया. इस अवार्ड कार्यक्रम में एक परिचर्चारखी गई थी जिसका विषय था -"सर्व धर्म एवं सदभाव". देश की वर्तमान हालात को देखते हुए लोक सेवा समिति ने सभी को एकजुट रहने का संदेश देने की कोशिश किया और कहा कि देश की एकता और अखंडतापर किसी प्रकार की आंच नहीं आनी चाहिए और नकारात्मक सोच के लोगों को आज अस्वीकार करना अत्यंत आवश्यक है.इस अवसर पर देशभर के कुल 18 प्रतिभाओं एवं विभूतियों को  झारखंड रत्न , विशिष्ट सेवा सम्मान एवं राष्ट्रीय महिला गौरव सम्मान दिया गया जिसमें सम्मानित प्रतिभागी को स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र एवं शॉल प्रदान किया गया.लोक सेवा समिति अध्यक्ष के अनुसार इस साल से पशु कल्याण एवं पर्यावरण के उल्लेखनीय सेवाओं को सम्मिलित किया गया है जिसके तहत देश की दो प्रतिभाओं को प्रतिभाओं को चुना गया था.जिसमें लखनऊ नगर निगम के संयुक्त निदेशक (पशु चिकित्सा एवं कल्याण),डॉ अरविंद कुमार राव को लावारिस पशुओं के प्रबंधन एवं चिकित्सा व्यवस्था के साथ-साथ शहर की स्वच्छता-सफाई अभियान के उल्लेखनीय संचालन हेतु विशिष्ट सेवा सम्मान, 2020 तथा झारखंड राज्य पशु कल्याण बोर्ड के प्रभारी अधिकारी, डॉ शिवानंद काशी को झारखंड प्रदेश में पशु कल्याण एवं जीव जंतु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के क्रियान्वयन के लिए "झारखंड रत्न" से सम्मानित किया गया है.



यह बता दें कि डॉक्टर अरविंद कुमार राव लखनऊ में 55 एकड़ परिक्षेत्र में संचालित कान्हा उपवन नामक गौशाला के तकरीबन 11,000 गोवंशीय पशुओं संचालन एवं प्रबंधन से जुड़े हुए हैं जो  देश मैं संचालित की जाने वाली नगर निगम मैं सबसे बड़ी कैटल पाउंड(गौशाला) है.प्राप्त जानकारी के अनुसार सालाना 20 करोड़ से ज्यादे  की धनराशि खर्च कर अपने 200 से अधिक कर्मचारियों के माध्यम से लावारिस पशुओं की बेहतरीन सेवा करने के लिए समर्पित है.अपने कर्मचारियों पर तकरीबन 18लाख रुपए की तनख्वाह देने वाला वाला कान्हा उपवन वर्तमान में गोबर- गोमूत्र के बेहतर प्रबंधन के लिए नए- नए अनुसंधान एवं तकनीक को अपनाने एवं केंद्रीय पशु कल्याण अधिनियम के तहत हर महीने तकरीबन 2,000 कुत्तों की नसबंदी-रेबीज विरोधी टीकाकरण कर पायलट प्रोजेक्ट संचालित कर रहा है.वहीं पर पशु चिकित्सा सेवा को बेहतर बनाने के लिए 35 चिकित्सक एवं 25 पैरावेट के माध्यम से चार एंबुलेंस रात - दिन चलाया जा रहा है.लखनऊ नगर निगम अवैधानिक तौर पर शहर में पशु रखने वालों पर सख्ती बरतने में संकोच भी नहीं करता और हर महीने दो से ढाई लाख रुपए का फाइन एकत्र करता है.



लखनऊ नगर निगम देश का पहला स्थानीय निकाय है जहां कान्हा उपवन नमक संचालित विशाल गौशाला परिसर के अतिरिक्त 45 एकड़ जमीन की अलग से व्यवस्था चरागाह केंद्र स्थापना कर रहा है.इस चारागाह केंद्र को स्थापित करने का मकसद यह है कि जैसे पुरातन काल में मवेशी सुबह गोचर भूमि पर चरने  जाते थे और शाम को वापस आते थे और उनके प्रबंधन में अलग से चारे -दाने की आवश्यकता नहीं पड़ती थी.इस परंपरा को फिर से लागू करने और भरण- पोषण का खर्च बचाने के लिए इस चारागाह को विकसित किया जा रहा है जिस पर कुल 3.4 करोड़ रुपए का खर्च आ रहा है.इस चरागाह के माध्यम से प्रति दिन 400 से 600 पशु लाभान्वित होंगे और इन पशुओं पर होने वाले खर्च को बचाया जाएगा.नगर निगम ने गोबर से लट्ठा बनाने के लिए भी संयंत्र लगाया हुआ है जो 2000 से ढाई हजार लट्ठे(तकरीबन 12 टन)प्रतिमाह तैयार करता है.गोबर के इन लट्ठे का प्रयोग जलोनी के साथ-साथ शवदाह केंद्रों पर मुफ्त प्रदान कर शवदाह में प्रयुक्त लकड़ी को बचाने की पहल की जा रही है.


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