करुणा इंटरनेशनल के संस्थापक  दुलीचंद जैन अब नहीं रहे


jशोक संदेश


चेन्नई की अग्रणीय  पशु कल्याण संस्था - "करुणा इंटरनेशनल" के संस्थापक दुली चंद जैन इस दुनिया में अब नहीं रहे।संस्था की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया है कि 22 अप्रैल 2020 को 11 बजे उनका स्वर्गवास हो गया। इस समाचार को सुनते ही  देशभर के पशु प्रेमियों  में शोक की लहर  फैल गई।  सभी ने  दिवंगत आत्मा की शांति के लिए  प्रार्थना की  और शोक संतप्त परिवार को इस अपूर्णीय क्षति को  सहने की शक्ति प्रदान करने की  कामना की। सभी लोगों ने कहा कि दुलीचंद जैन जी के कर्म योग और योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। 


शोक सभा 


चेन्नई की पशु कल्याण संस्था "करुणा इंटरनेशनल"  ने  अनुरोध किया है कि  शोक सभा में सम्मिलित होने का  कष्ट करें जिसके लिए  अपने लैपटॉप अथवा मोबाइल के द्वारा  शोक सभा में शरीक हो सकते हैं। संस्था के अनुरोध में यह भी बताया गया है कि 26 अप्रैल को  सायंकाल 3 बजे  शोक सभा आयोजित की जायेगी जिसका  पूरा विवरण "गूगल मीट"  ऐप पर कंडोलेंस मीट के नाम से उपलब्ध होगा।अधिक जानकारी के लिए सुरेश कंकरिया  (9444024446 ) या इलांगोवन (6374982288) से  सीधे संपर्क कर सकते हैं।   कंडोलेंस मीट  लिंक है :   http://meet.google.com/ezd-rdpy-iej 


चेन्नई (तमिलनाडु)


हमारे देश में जीव जंतुओं के प्रतिदया और करुणा का बर्ताव करने तथा कानूनी तौर पर उन पर होने वाले जुल्म या  अपराध को रोकने के लिए विश्व भारत एक ऐसा देश है जहां पशु कल्याण के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारें जीव जंतु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के अंतर्गत निहित दिशा निर्देशन के अनुसार कार्य किया जाता है। पशु कल्याण के कार्यों में ह्यूमेन एजुकेशन अर्थात मानवीय शिक्षा के तहत,विशेषकर के स्कूली बच्चों में जीव दया एवं करुणा की भावना जगाने का भी प्रवधान है। इस कार्य को देश में  बखूबी से करने वाली चेन्नई की अग्रणीय  स्वयंसेवी संस्था - "करुणा इंटरनेशनल" के संस्थापक दुली चंद जैन इस दुनिया में अब नहीं रहे।संस्था की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया है कि 22 अप्रैल 2020 को 11 बजे उनका स्वर्गवास हो गया।  अपने पीछे  करुणा मिशन की परम सहयोगी धर्मनिष्ठ पत्नी , दो पुत्र  एवं  एक पुत्री को  छोड़ गए हैं जो चेन्नई में ही रहते हैं। 


दुलीचंद जैन मूलतः राजस्थान में नागौर जिले के रहने वाले थे जो  चेन्नई आ कर बस गए।  दुली चंद जी का जन्म  1 नवंबर  1936 को हुआ था।  वह चेन्नई में आयरन इंडस्ट्रीज से जुड़े  हुए थे  किंतु अपने व्यवसाय के संचालन के साथ-साथ वह स्कूली बच्चों में जीव दया एवं करुणा की भावना जगाने के लिए निरंतर समर्पित थे। प्रख्यात पशुप्रेमी सुरेन्द्रनहाई मेहता के नेतृत्व तथा  इंडियन वेजीटेरियन कांग्रेस के तत्वावधान में वर्ष 1995 में शुरू की गई "करुणा क्लब" की एक परियोजना को वह इतना आगे ले आए की करुणा क्लब परियोजना के संचालन के लिए "करुणा इंटरनेशनल" संस्था की स्थापना की। आज  इस संस्था के पास कुल सदस्यों की संख्या तकरीबन 2,600 सदस्य स्कूल हैं जो देश भर में फैले हैं और वहां पर  करुणा क्लब की की संचालन की  जा रही है। 


प्रतिवर्ष जीव दया तथा पशु कल्याण के विभिन्न तरह के शिक्षा कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं। इस दिशा में  विशिष्ट कार्य करने वाले अध्यापकों, विद्यार्थियों  और अन्य संबंधित लोगों को हर साल तकरीबन 33 प्रकार के पुरस्कार एवं अवार्ड दिए जाते हैं।  करुणा इंटरनेशनल के मुख्यालय में वर्तमान में तकरीबन आधे दर्जन  नियमित कर्मचारी कार्य करते हैं।  करुणा इंटरनेशनल की इस समय 18 से अधिक पुस्तकें  अंग्रेजी हिंदी तमिल तथा अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाशित है। तकरीबन 40 से 60 लाख  की अनुदान सहायता एकत्र कर  बच्चों में जीव दया जगाने का  यह उल्लेखनीय कार्य करुणा इंटरनेशनल अभी तक बड़े मुस्तैदी से करता आ रहा था। अक्सर शाकाहार पर बोलते रहते थे। उनका मानना था कि शाकाहार के बिना पशु कल्याण की शुरुआत ही नहीं हो सकती है। उनके दृष्टि में सुखद जीवन के लिए शकाहार बहुत जरुरी है।   


संस्था के  संचालक मंडल के  सदस्य , सुरेश कंकरिया ने बताया कि दुलीचंद जैन जी  अपने जीवन के अंतिम क्षण तक कार्य करते रहें।  अपने देहावसन  के कुछ दिन पहले उन्होंने करुणा इंटरनेशनल की जिम्मेदारी  संरक्षक मंडल के  सबसे तेज- तर्रार , कर्मठ  एवं जीव दया तथा  पशु प्रेमी कैलाशमल डुग्गड़ को  सौंप दिया था।  फिर भी , समय-समय पर करुणा इंटरनेशनल के कार्यालय जाते रहे थे और  संस्था को एक बच्चे की तरह  उनकी देखभाल जारी थी। दुलीचंद जी  एक अच्छे लेखक तथा वक्ता भी थे। पढ़ते भी थे और खूब लिखते भी थे।  उनकी याददाश्त बहुत तेज थी। बस  कुछ सालों से उनको सुनने में  समस्या हो रही थी किंतु काम चल रहा था।  सरल, मृदुभाषी तथा हमेशा प्रसन्न  रहने वाले दुलीचंद जी कभी बेकार नहीं बैठे पाए गए। कुछ न  कुछ करते रहते थे। वह अत्यंत सृजनशील थे। करुणा इंटरनेशनल नामक की एक मासिक पत्रिका का भी संपादन अंतिम क्षण तक करते रहे।       


भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के मीडिया हेड एवं संपादक  डॉ. आर. बी. चौधरी ने बताया कि  दुलीचंद जैन से उनकी अभी कुछ महीने पहले मुलाकात हुई थी तो वह संस्था को आगे बढ़ाने की कई तरह की  चर्चा कर रहे थे , विशेषकर , ह्यूमेन एजुकेशन के लिए चलाए जा रहे परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए। उस समय की  परिचर्चा में संयोग से समस्त महाजन के  मैनेजिंग ट्रस्टी गिरी जयंतीलाल शाह  भी थे। डॉ. चौधरी ने बताया कि जैसे ही  दुलीचंद जैन जी ने उन्हें  बच्चों के शिक्षा की परियोजना के लिए फंडिंग की समस्या बताई। उसी समय गिरीश जयंतीलाल शाह ने  फंड के अभाव में इस परियोजना को वाधित होने  से बचाने का आग्रह किया और कहा कि आप आगे बढ़िए  हम इस अभियान में आप के साथ हैं। कुछ समय बाद फंड  आ भी गया।    


सुरेश कंकरिया ने यह भी  बताया कि  अंतिम क्षण तक वह करुणा इंटरनेशनल के  भविष्य की रूपरेखा बनाने में  व्यस्त रहते थे। कंकरिया ने आगे यह भी बताया कि  करुणा इंटरनेशनल के कार्यों को  निरंतर आगे बढ़ाया जाएगा  क्योंकि संस्था का संचालन अत्यंत दयावान एवं लोकप्रिय उद्योगपति कैलाशमल दुग्गल  के हाथ में सौंप कर  गए हैं।  दुग्गल साहब  दुलीचंद जैन जी के सिर्फ परम मित्र ही नहीं है बल्कि वह कर्मयोग में दुली चंद जी के  प्रतिरूप जैसे हैं।  इसलिए यह मिशन  अपने गति से चलता रहेगा। 


करुणा इंटरनेशनल के संस्थापक दुलीचंद जैन जी के कर्मयोग पर आधारित यादगार के कुछ भूले-बिसरे पल






***************