भगवान महावीर के "अहिंसा परमो धर्मः" का संदेश आज कितना जरूरी
5 अप्रैल, 2020 ; मुंबई (महाराष्ट्र)
आज समूचा विश्व कोरोना वायरस की जानलेवा भय से जूझ रहा है। चाइना जैसे वन्य जंतुओं को विनाश की कगार पर ले जाने वाला देश को समूची दुनिया कोस रही है। ऐसे परिपेक्ष में भारतीय संस्कृति, रीति-रिवाजों एवं जीवन शैली "अहिंसा परमो धर्म:" का संदेश बताने वाले भगवान महावीर की वाणी से दुनिया भर में सीख ली जाती है। इस महान संदेश को याद कर इस साल तीर्थंकर भगवान महावीर की जयंती 6 अप्रैल को मनाई जाएगी किंतु आज के परिपेक्ष में भगवान महावीर के संदेश की पृथ्वी से मानवता बचाने के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इस बार का अंदाज लगाया जा सकता है।
भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के सदस्य एवं समस्त महाजन के मैनेजिंग ट्रस्टी ,गिरीश जयंतीलाल शाह ने कहा कि हमारा देश अपने सांस्कृतिक विरासत , ऋषि मुनियों के अहिंसा वादी संदेश , मर्यादाओं एवं संयम पर आधारित जीवन पद्धति सदैव समूची दुनिया को आकृष्ट करती रही है। उन्होंने महावीर जयंती के अवसर पर भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड द्वारा जारी किए गए एडवाइजरी का हवाला देते हुए बताया कि देश के महापुरुषों के जन्म दिवस के अवसर पर पशुओं का वध नहीं होना चाहिए और सभी राज्यों को इस एडवाइजरी का तत्काल प्रति पालन करना चाहिए।
गिरीश जयंतीलाल शाह ने बताया कि भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के सचिव डॉ एस के दत्ता के द्वारा जारी एक अनुरोध/ सर्कुलर के माध्यम से देश के सभी जिलाधिकारियों से यह अनुरोध किया गया है कि महावीर जयंती या अन्य राष्ट्रीय पर्वों के अवसर पर देश के सभी वधशालाओं बंद रखा जाए. पत्र में यह भी अनुरोध किया गया है कि जिलाधिकारी/ राज्य सरकार स्थानीय निकायों अथवा प्राइवेट निकाय द्वारा संचालित वधशालाओं को इस अवसर पर बंद रखा जाए। पत्र में इस संबंध में तत्काल कार्यवाही करने की बात कही गई है और कहा गया है कि इस संबंध में किए गए कार्यवाही से अवगत कराया जाए।
महावीर जयंती के अवसर पर उन्होंने अपने संदेश में देशभर के सभी पशु प्रेमियों,जीव दया के क्षेत्र में काम कर रहे कार्यकर्ताओं तथा सरकारी - गैर सरकारी प्रतिभागियों से अनुरोध किया है कि विश्व के सभी अच्छे लोग एक अच्छी विचारधारा के साथ जुड़े। इस भावना के साथ भगवान महावीर का संदेश है “सवी जीव करू शाशन रती” अर्थात सभी जीवों को जीने का अधिकार है भगवान महावीर के उपदेशो के अनुरूप हमने सभी प्राणियों एवं पंच महाभूतों जिनमे पृथ्वी , आकाश, वायु , जल, अग्नि, तथा प्रकृति यानी पर्यावरण की रक्षा ,सर्वधन को अपना ध्येय मानकर कार्य कर रहे है ; ताकि परमेश्वर प्रदत इस सृष्टि को अधिक सुंदर बनाया जा सके मेरा सभी अच्छे लोगो से यही आग्रह है कि वह एकजुट होकर अपनी पूरी ताकत से इस इश्वरी कार्य में सम्मिलित हो जाये और दुष्ट तामसिक पाशविक शक्तिओं को परास्त करे। तभी यह संसार फिर से मंगल ग्राम बन पायेगा और यह दायित्व अच्छे सज्जन लोगो पर ही है।
उन्होंने भगवान महावीर के संदेश को याद दिलाते हुए कहा किजैसे महावीरजी ने जल तत्व की बात की तो हमने गाँव – गाँव में तालाब, कुए, नदी- नाले आदि की पुनः व्यवस्था कर गाँववासियों को पानी के मामले में आत्म निर्भर बनाया। हमने यह अभियान चलाया की गाँव के प्रत्येक व्यक्ति 16 वृक्ष लगाए। मान लो किसी गाँव ने 1 ,000 लोग रहते है और वे सभी सोलह सोलह वृक्ष लगाते है। तो कुल 16 ,000 वृक्ष गाँव में लग जायेगे। ओर गाँव नंदनवन बन जायेगा। इससे किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। हर गाँव हर व्यक्ति स्वावलंबी बने। पैसे कमाने के लिए कही बाहर जाने की जरूरत नहीं है। पहले हर गाँव में पशुपालन और कृषि व्यवस्था थी। इससे उनकी आमदनी होती थी। दूध, दही, धी, मख्खन एवं अनाज आदि के व्यापर से ग्रामीण लोग समृद्ध थे। हम फिर से पुरानी ग्रामीण व्यवस्था को जीवंत करने के लिए काम कर रहे है और भगवान महावीर के विचारो को अपने सामाजिक कार्यो के माध्यम से जन – जन तक पहुंचा रहे है।
सभी को अपनी परंपरा से जुड़ कर अपने – अपने क्षेत्र में अच्छे कार्य करने चहिये। केवल बातो से ही नहीं काम चलेगा। हमें अब प्रेक्टिकल बनना पड़ेगा। ग्राउंड लेवल पर हम छोटे छोटे कार्य करना चाहिए जैसे 16 – 16 वृक्ष लगाकर अच्छे कार्य से जोड़ सकते है। हम छोटा सा गढ्ढा खोद कर पानी रिसर्व कर सकते है। हम गौचर, गौवंश की सेवा कर सकते है। किसी दीनहीन जरूरियातमंद की सहायता कर सकते है। ये सब अच्छे कार्य है। सभी को करने चाहिए यह सब कार्य करके हम अपने जीवन में भी सुधार ला सकते है। हम अपने आहार में भी सुधार ला सकते है। हम क्यों होटल का खाना खाते है ? नहीं खाना चाहिए। हम क्यों गन्दा खाना खाते है ? नहीं खाना चाहिए।
भगवान्ह महावीर के सन्देश के अनुसार हमें सर्व प्रथम अपना कल्याण स्वयं करना चाहिए। हमें पहले अपनी व्यवस्था सुधार कर अपने आसपास के लोगो की सेवा करना चाहिए। अगर आप बहुत ताकतवर बन जाये तो पूरे देश सहित विश्व कल्याण की भावना लेकर व्यापक काम करना चाहिए। इसी से सभी का कल्याण होगा और भगवान महावीर के विचारो को हम साकार कर पाएंगे।
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