उत्तराखंड के पशुपालन विभाग ने बेजुबानों के लिए 41 दिन लगातार तकरीबन 1,100 रोटी तैयार करवाई- स्थानीय पशु प्रेमियों ने अपने-अपने मोहल्ले में बेजुबानों को रोटियां बाटी


करोना लॉकडाउन  के दौरान उत्तराखंड  पशुपालन विभाग के तत्वाधान में बेजुबानों के लिए  41 दिन  तक सफल भोजन वितरण संपन्न-  देश के  तमाम पशु प्रेमियों ने उत्तराखंड को सभी राज्यों  लिए  प्रेरणा स्रोत कहा- झारखंड जीव जंतु कल्याण बोर्ड के प्रभारी डॉ. शिवानंद ने उत्तराखंड  जीव जंतु कल्याण बोर्ड को मार्गदर्शक बताया - उत्तराखंड पशु कल्याण बोर्ड के  प्रमुख डॉ आशुतोष जोशी ने बताया कि हमारी छोटी-छोटी पशु कल्याण की कोशिशें चलती रहती है...........


हाइलाइट्स


£ उत्तराखंड पशुपालन विभाग द्वारा सफल रोटी वितरण कार्यक्रम संपन्न 
£ विभाग 41 दिनों से कर रहा है बेजुबान के यह अनुपम सेवा
£ देहरादून के हर इलाके में  योजनाबद्ध ढंग से पहुंची रोटियां
£ कोशिश रही है कोई भी बेजुबान  भूखा न रहे
£ पशु चिकित्सा अधिकारियों सहित दर्जनों कर्मचारी शामिल


देहरादून (उत्तराखंड); 24 मई 2020 :  डॉ. आर.बी. चौधरी , संपादक -एनिमल वेलफेयर 
 
लॉक डाउन के बाद  हर शहर के पशु -पक्षियों की हालत बड़ी ही दयनीय हो गई थी  किंतु  भारत के प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संदेश में पशुओं को भोजन देने के अनुरोध के बाद सरकारी एवं गैर सरकारी विभागों ने  इस  अनुरोध पर अभी विचार कर रहे थे किंतु  उत्तराखंड का पशुपालन विभाग सबसे पहले आगे आया  और  पशु चिकित्सा अधिकारियों को न  केवल पशु सेवा, स्वास्थ्य की देख-रेख  एवं पशु कल्याण में हाथ बटाने को कहा बल्कि, सरकार की ओर से एनिमल फीडिंग- "बेजुबानों  के लिए रोटी वितरण कार्यक्रम" चलाया गया जो पिछले 41 दिनों तक  लगातार  चलाया गया  ताकि छुट्टा पशुओं कब भूख प्यास से  प्राण बचाया जा सके।  देखते ही देखते यह कार्यक्रम  न  केवल सफल रहा बल्कि अत्यंत लोकप्रिय भी रहा है।  


यह बता दें कि  देशभर में अग्रणी भूमिका निभाने वाले उत्तराखंड पशुपालन विभाग  कि पशु कल्याण में कई उल्लेखनीय उपलब्धियां  जो राज्य को पहले पायदान पर ले जाती है। पशु कल्याण पर  केंद्रीय अधिसूचनाओ  के जारी होने से पहले  ही उत्तराखंड सरकार पशु कल्याण पर कार्यक्रम आरंभ कर चुका था। इतना ही नहीं आपदा प्रबंधन गाइडलाइंस में  जन स्वास्थ्य  मामले को सुनिश्चित करने के लिए पशु चिकित्सकों की भूमिका को जुड़वाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह देश के सभी राज्य के पशुपालन विभाग के लिए बहुत बड़ी सीख है।  इन कार्यों के सफल संचालन के लिए देश के पशु प्रेमियों ने   उत्तराखंड सरकार को अपना आभार प्रकट किया है। 


एनिमल वेलफेयर पत्रिका के  एक अध्ययन में पाया गया कि कोरोना लॉकडाउन के शुरू होते ही  जब लावारिस जानवरों के भोजन- पानी का संकट खड़ा हो गया था और प्रधानमंत्री मोदी के 21 मार्च को दिए गए भाषण के ठीक अगले दिन से उत्तराखंड के पशुपालन विभाग द्वारा  स्थानीय स्तर पर इनके भोजन प्रबन्ध के लिए शासन-प्रशासन स्तर पर अपनी बात पहुंचाने का सिलसिला भी शुरू हो गया था। हालांकि, शासन की ओर से पहले से ही पशु सेवा के  कार्य योजना निर्माण  एवं संचालन अनुमति मिल चुकी थी। लेकिन पशु प्रेमियों के अगुवाई में देहरादून एवं अन्य शहरों में पशु प्रेमी व संस्थाएं अपने स्तर से  शहर में घूम-घूम कर बेजुबानों के भोजन पानी की व्यवस्था आरंभ कर दी गई थी। इसलिए,   इस मौके पर पशु प्रेमियों की गुहार सरकार को और उत्साहित किया जिसके परिणाम स्वरूप 7 अप्रैल से पशुपालन विभाग द्वारा देहरादून में बेजुबान  के लिए विशेष रसोई का संचालन आरंभ किया  गया।  प्राप्त जानकारी के अनुसार  बेजुबान रसोई  संचालन का कार्य 7 अप्रैल से 17 मई ( 41 दिन ) तक  संचालित किया गया जिसके तहत बेजुबानों के लिए रोटियां उपलब्ध कराई जा रही थी। 


सूत्रों के अनुसार सहस्त्रधारा में विभागीय संगठन के भवन की रसोई में एक दिन में करीब 1,000 से 1100 अंडायुक्त परांठे दिए जा रहे थे जो किसी भी व्यक्ति के लिए बेहद सुकून देने वाली खबर है।  यह बता दें कि  देहरादून क्या  देश के  सभी शहरों की हालत एक जैसी थी  क्योंकि लॉकडाउन में शहर के ढाबे-रेस्टॉरेन्ट में ताले लग हुए थे। हर शहर की भांति होटलों एवं ढाबों  के अवशेष एवं जूठन पर निर्भर  रहने वाले छुट्टा पशु खासकर, कुत्ते या अन्य मवेशी पशु  भी देहरादून में भी आश्रित थे। इस राष्ट्रव्यापी चुनौती में , खास करके देहरादून के सैकड़ों लावारिस कुत्ते लाचार एवं बेबस- भूखे- प्यासे घूम रहे थे। निरंतर मौत उनकी पीछा कर रही थी  किंतु इस कार्यक्रम के संचालन से  पशु प्रेमियों में प्रसन्नता की लहर  उठ गई। उत्तराखंड  जीव जंतु कल्याण बोर्ड के  प्रमुख डॉ आशुतोष जोशी ने बताया कि "बेसहारा कुत्तों के विभिन्न गैंग्स के बीच झड़प  की आवाज देर रात तक गलियों-कूंचों  मैं अक्सर सुनाई देती थी  जो बेहद  दुखद एवं दर्दनाक थी। लेकिन उत्तराखंड सरकार इस चुनौती से  डटकर मुकाबला किया  और हमें अच्छी सफलता मिली। "
 
उत्तराखंड पशुपालन विभाग  के अनुसार इस रसोई से बनी रोटियां विभाग के चिकित्सालय व डिस्पेंसरियों में भी भेजे जाने का कार्यक्रम चलाया गया जो  इस कार्यक्रम के  सफल संचालन में काफी  सहायक सिद्ध हुआ क्योंकि पशुपालन विभाग के चिकित्सालय एवं एवं डिस्पेंसरी के माध्यम से  देहरादून के पशु प्रेमी इन्हें लेकर अपने अपने मोहल्लों  के भूखे- प्यासे लावारिस कुत्तों को खिलाते थे। पशु प्रेमियों के सहयोग से  कुत्तों के भोजन वितरण में बहुत बड़ी सहायता मिली।  रोटी वितरण कार्यक्रम के संबंध में यह भी बताया गया कि चिकित्सालय आने वाला पशु  कोई प्रेमी 50  रोटियां तो  अपने आवश्यकतानुसार कोई 20 या 30 रोटी ले जाता था।  इस प्रकार  आवश्यकता के मुताबिक लगभग 1,000  रोटियां बनाने में प्रतिदिन 300 से 350 अंडे की  भी खपत होती थी।  इस समस्या को निपटाया  स्थानीय मुर्गीपलकों ने। यहां पर सबसे रोचक  एवं प्रेरक बात यह है कि पशुपालन विभाग  के इस मुहिम को अंडे मुफ्त में मिलते रहे  और इन अंडों की मुफ्त सप्लाई  देहरादून के आसपास के  मुर्गी पालकों द्वारा नियमित एवं निशुल्क की गई।


पशुपालन विभाग के कर्मचारियों  एवं पशु चिकित्सा अधिकारियों का बहुत बड़ा योगदान था।  इस श्रृंखला में इस श्रृंखला में पशु प्रेमी ड्राइवर मनोज कुमार प्रतिदिन 9 बजे तक चिन्हित सभी 10 चिकित्सालय व डिस्पेंसरी में रोटियां पहुंचा पहुंचाने का कार्य  बड़े ही बखूबी  किया। इस प्रकार मनोज कुमार बेजुबानों की रोटियों वाला वाहन प्रेमनगर, राजपुर, मालसी, गढ़ी कैंट, सहस्त्रधारा, सर्वे चौक, पण्डितवाड़ी, अजबपुरकलां, सुभाषनगर व रायपुर स्थित विभागीय केंद्रों में रोटियां बांटने का  कार्य बड़े ही लगन से  किया।  विभागीय जिम्मेदारी के साथ साथ मनोज कुमार, सहयोगी कर्मचारियों एवं अधिकारियों  का यह जज्बा  देखने लायक था। बताया जा रहा है कि  पशु कल्याण से जुड़े अधिकारी पशु चिकित्सकों के बीच रहने से तमाम  कर्मचारियों का नजरिया पशु सेवा में बदल गया है। इस अभियान  केकरो ना वेरियर  के रूप में मनजीत ने रसोई की जिम्मेदारी ने संभाली हुई थी जहां  उनके साथ और पांच महिलाएं प्रतिदिन सिर्फ रोटियां बनाने में लगी रहती थी।  रोटी वितरण कार्यक्रम  का पूरा संचालन करोना वेरियर डॉक्टर कैलाश उनियाल समेत अन्य कई चिकित्सकों की एक बड़ी टीम पूरी लगी हुई थी जो पूरी व्यवस्था की निगरानी बड़े मुस्तैदी से की गई।


यह एक अत्यंत प्रेरक बात है कि प्रधानमंत्री के आह्वान पर उत्तराखंड के पशुपालन विभाग, देहरादून द्वारा संचालित  बेजुबानों  को रोटी बांटने  के इस अत्यंत सफल अभियान में उत्तराखंड का हर कर्मचारी एवं अधिकारी व्यक्तिगत तौर पर काफी संतुष्ट नजर आया।  विभाग बड़े ही  सूझबूझ के साथ  बेजुबान ओं को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने का निर्णय लिया जिससे उनकी प्राण रक्षा करने में काफी सहायता मिली।  विभाग के द्वारा प्राप्त  जानकारी के अनुसार  हालांकि बीते 17 मई के बाद बेजुबानों की रसोई  कार्यक्रम को विराम दे दिया गया। लेकिन खुशहाली की बात यह है कि  इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए स्थानीय पशु प्रेमियों ने अपने हाथ में ले लिया है। स्थानीय पशु प्रेमियों सहित देश के  तमाम प्रांतों से पशु प्रेमी उत्तराखंड पशुपालन विभाग के प्रति आभार प्रकट किया है। देहरादून के पशु प्रेमियों ने देहरादून डी.एम. द्वारा प्रदत्त सहयोग के लिए भी आभार प्रकट किया है।  पशुपालन विभाग ने विभाग ने  इस कार्यक्रम में  सम्मिलित  सभी पशु प्रेमियों,  पशु कल्याण संस्थाओं तथा स्वयं सेवकों/ अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा  तन मन धन से सहयोग के लिए आभार प्रकट किया है। 


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