झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ ने राज्य सरकार को चेतावनी दी - कहा गैरकानूनी सेवा आदेश रद्द करें , नहीं तो आंदोलन होगा

झारखंड राज्य में सरकार स्तर से पशुपालन सेवा संवर्ग के  पदाधिकारियों के लिए अराजपत्रित पदाधिकारी को  राजपत्रित पदाधिकारियों के  वेतन देने का आदेश दिया - राजपत्रित पशुपालन पदाधिकारियों  ने इसे  गैर कानूनी बताया 


...कहा , सरकार अगर तत्काल इस आदेश को रद्द नहीं करती  है  तो संघ  आंदोलनात्मक रवैया अपनाने को मजबूर होगा:


झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ


रांची (झारखंड)


उपायुक्त पलामू ने पशुपालन विभाग अंतर्गत क्षेत्रीय निदेशक पशुपालन,पलामू,जिला पशुपालन पदाधिकारी पलामू, पशु शल्य चिकित्सक,पलामू,आदर्श ग्राम पदाधिकारी, पलामू के कार्यलयों में पदस्थापित पशु चिकित्सा पदाधिकारी सहित अन्य विभागीय कर्मियों के वेतनादि निकासी के लिए गैर संवर्गीय को पशुपालन सेवा संवर्ग के राजपत्रित कैडर पदों के पदाधिकारियों के वेतनादि निकासी का अवैधानिक आदेश ज्ञापांक 291, दि०- 16/06/2020 निर्गत किया है।पशु चिकित्सा पदाधिकारियों का इंट्री स्केल 9300- 34800, ग्रेड पे-5400 है, जबकि मत्स्य सेवा के पदाधिकारियों का इंट्री स्केल 9300- 34800, ग्रेड पे-4800 है।झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ ने जारी अपनी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया है कि यह आदेश सेवा नियमों के विरुद्ध है। 

 

झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ के अध्यक्ष ने इस आदेश पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि उपायुक्त पलामू द्वारा उच्चतर वेतनमान के पदाधिकारियों के वेतनादि की निकासी उनसे निम्न वेतनमान के पदाधिकारी द्वारा कराने का आदेश दिया है, यह राजपत्रित पशुपालन कैडर के सम्मान के विरुद्ध है।इस आदेश को वापस लेना चाहिए और अगर वापस नहीं लिया जाता है तो राजपत्रित अधिकारियों में इसका असंतोष फैलेगा और समूचे प्रदेश मेंपशुपालन के कार्यों पर इसका नकारात्मक असर पड़ेगा।उन्होंने आगे यह भी कहा किइस तरह के निर्णयप्रदेश के हित में नहीं हैक्योंकि वर्तमान में जहां प्रदेशकोविड-19 के लॉक डाउन की वजह से तमाम आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है। वहीं पर पशुपालन जैसी रोजगार परक व्यवस्था के ऐसे निर्णयनई समस्या का जन्म देंगे। 

 

विज्ञप्ति में आ गए यह भी बताया गया है कि योजना-सह-वित्त विभाग, झारखंड सरकार के पत्रांक वित्त- 20/को०संहिता-07/2016  1111/वि०, दि० 08-04-16 की कंडिका 1 में अंकित है कि "विभागीय प्रधान या विभागाध्यक्ष अधीनस्थ किसी पदाधिकारी को झारखंड कोषागार संहिता -2016 के नियम 87 के तहत् निकासी.एवं व्ययन.पदाधिकारी की शक्ति प्रत्यायोजित कर सकते हैं।झारखंड सेवा संहिता के नियम 21 के आलोक में निदेशक पशुपालन को विभागाध्यक्ष घोषित किया गया है, इसी प्रदत्त शक्ति का प्रयोग कर निदेशक पशुपालन विभाग के पदाधिकारियों एवं कर्मियों के वेतनादि मद की राशि का आवंटनादेश निर्गत करते हैं  एवं पूर्व  में निदेशक द्वारा वित्तीय शक्ति प्रत्यायोजित की गई है।

 

पशु चिकित्सा सेवा संघ का मानना है कि कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग, झारखंड सरकार का पत्र संख्या -1स्था० अतिरिक्त प्रभार 01/2017 प०पा०/431, दि०- 02-06-2020 द्वारा पशुपालन कैडर के विभिन्न जिलों के रिक्त निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी के पदों के प्रभार हेतू अधिकृत किया जाना, योजना-सह-वित्त विभाग, झारखंड सरकार के पत्रांक वित्त- 20/को०संहिता-07/2016  1111/वि०, दि० 08-04-16 की मूल अवधारणा के विपरीत है।सरकारी कर्मी की सेवानिवृत्ति सुनिश्चित है, जिसका सारा ब्योरा सरकार के पास संधारित होता है, फिर भी विभागीय सचिवालय 7 महीने से भी अधिक अवधि व्यतीत हो जाने पर निकासी एवं व्ययन पदाधिकारियों के सेवानिवृत्ति उपरान्त प्रतिस्थानी पदाघिकारी की पदस्थापना में किस मंशा से विलंब करता है, स्पष्ट है।

 

संघ के अध्यक्ष के अनुसार "प्रोन्नति के पदों के रिक्त रहने एवं कालावधि शिथिलन के नियम के बावजूद प्रोन्नति प्रदान करने में विलंब किया जाता है, वर्ष 2002 को तत्कालीन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में पदवर्ग समीति की बैठक में लिए गये सयुक्त निदेशक स्तर के तीन पदों, उप निदेशक स्तर के दो पदों की स्वीकृति के  निर्णय पर अब तक पदस्थापन नहीं किया जाना, संदेह पैदा करता है, कि पशुपालन कैडर को क्षीण-भीन्न करने की साजिश तो नहीं है। संघ दोषियों पर कड़ी कारवाई की माँग करता है।पशुपालन विभाग पशुओं की चिकित्सा एवं उनके कल्याण से संबंधित विभाग है, जिसमें पशु चिकित्सक 5 वर्ष की अनिवार्य पशु चिकित्सा विज्ञान एव़ पशुपालन की स्नातक डिग्री हासिल करते हैं, उन्हें ही सरकार पदस्थापित करती है।" 

 

विज्ञप्ति में आगे अभी लिखा गया है कि पशु  चिकित्सा एक तकनीकी विषय है एवं पशु औषधियों के साथ ही साथ पशुओं से संबंधित कई प्रकार की वैधानिक शक्तियों का उपयोग पशु चिकित्सा परिषद (वेटरनरी काउंसिल ऑफ इंडिया अथवा वेटरनरी काउंसिल ऑफ स्टेट) से रजिस्टर्ड पशु चिकित्सक ही कर सकते हैं। इंडियन वेटरनरी काउंसिल एक्ट 1984 के अध्याय 4 धारा 30 के तहत् पशु चिकित्सक को विशेष अधिकार प्राप्त हैं,उपायुक्त पलामू ने इस नियम का उल्लंघन करते हुए क्षेत्रीय निदेशक पशुपालन,पलामू,जिला पशुपालन पदाधिकारी पलामू, पशुशलय चिकित्सक,पलामू,आदर्श ग्राम पदाधिकारी पलामू के पद पर जिला मत्स्य पदाधिकारी को  प्रभार दिया गया है। पूर्व मे भी उपायुक्त रांची द्वारा जिला कृषि पदाधिकारी को जिला पशुपालन पदाधिकारी का प्रभार दिया गया था संघ के विरोध दर्ज करने पर तत्काल रद्द किया गया था।

 

झारखंड सरकार पशु चिकित्सकों को न तो समय पर प्रमोशन दे रही है नहीं एमएससीपी का लाभ साथ ही साथ रिक्त पड़े पदों पर मनमाने तरीके से पोस्टिंग किया जा रहा है। इस तरह से विभाग की क्षति के साथ साथ पशुचिकित्सकों के मनोबल को कुंठित करना है।इस तरह के हतोत्साहित करने वाले कृत्य से राज्य के किसानों के आर्थिक आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में सरकार की ओर से घोर उदासीनता को दिखाता है।रूल ऑफ़ लॉ को दरकिनार करते हुए मैनेजमेंट की अक्षमता को भी दर्शाया जा रहा है ।ऐसा प्रतीत होता है कि एक अतिमहत्वपूर्ण तकनीकी विभाग को जानबूझकर समाप्त किया जा रहा है ।झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ,  उपायुक्त महोदय, पलामू के इस विसंगतिपूर्ण आदेश का घोर विरोध करता है।सरकार अगर तत्काल इस आदेश को रद्द नहीं करता है , तो संघ  आंदोलनात्मक रवैया अपनाने को मजबूर होगा।

 

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